Ad

निर्यात शुल्क

ई-नाम के माध्यम से नेफेड और एनसीसीएफ ने हजारों टन प्याज बेची

ई-नाम के माध्यम से नेफेड और एनसीसीएफ ने हजारों टन प्याज बेची

नेफेड ने अब तक पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश की कई सारी मंडियों में 3,000 टन से ज्यादा प्याज भेजा है। वहीं, उत्तर प्रदेश की मंडियों में बिक्री शुरू करने के लिए उपभोक्ता मंत्रालय से स्वीकृति मांगी है। सूत्रों का कहना है, कि उत्तर प्रदेश में वाराणसी, प्रयागराज, कानपुर और लखनऊ जैसे प्रमुख शहरों को शुरुआत में कवर किए जाने की संभावना है। राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ एवं राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता फेडरेशन (एनसीसीएफ) ने 30-31 अगस्त को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म ई-नाम के जरिए से 900 टन से ज्यादा प्याज बिक्री की। इसमें अंतर-राज्य लेनदेन के जरिए से 152 टन का व्यापार भी शम्मिलित है। ई-नाम प्लेटफॉर्म के जरिए से प्याज की बिक्री महाराष्ट्र की कुछ मंडियों में व्यापारियों के विरोध पर सरकार की त्वरित प्रतिक्रिया थी। जहां उन्होंने प्याज पर लगाए गए 40 प्रतिशत निर्यात शुल्क के विरोध में नीलामी रोक दी थी। जवाब में, सरकार ने नेफेड और एनसीसीएफ दोनों को प्याज भंडारण जारी करने के लिए वैकल्पिक रास्ते तलाशने का निर्देश दिया था। इस बिक्री का उद्देश्य, प्याज के भाव को न बढ़ने देना था। हालांकि, सरकार के इन प्रयासों से प्याज किसानों को काफी हानि हुई थी। परंतु, सरकार ने किसानों को दरकिनार कर केवल उपभोक्ता के हितों का ध्यान रखा। सरकार नहीं चाहती थी, कि टमाटर के पश्चात अब प्याज की भी महंगाई बढ़े। साथ ही, इसको लेकर कोई हंगामा हो, क्योंकि उसे शीघ्र ही चुनाव का सामना करना है।

ई-नाम के माध्यम से बिक्री बढ़ने की संभावना

नेफेड जिसने ई-नाम के जरिए से प्याज की बिक्री चालू की थी। महाराष्ट्र के लासलगांव से भौतिक स्टॉक लेने के पश्चात एक राज्य के भीतर ही 5,08.11 टन बेचने में सक्षम रहा। राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारी संघ (एनसीसीएफ) ने राज्य के भीतर मंडी एवं अंतर-राज्य लेनदेन दोनों का इस्तेमाल किया। लासलगांव मंडी महाराष्ट्र के नासिक में मौजूद है। यह दावा किया जाता है, कि यह एशिया की सबसे बड़ी प्याज मंडी है। ये भी पढ़े: आखिर किस वजह से प्याज की कीमतों में आई रिकॉर्ड तोड़ गिरावट सूत्रों का कहना है, कि दोनों एजेंसियों को ई-नाम के जरिए से बिक्री बढ़ने की संभावना है। यदि नीलामी के दौरान ज्यादा व्यापारियों को मंच पर लाया जाए और उन्हें गुणवत्ता एवं लॉजिस्टिक मुद्दों के विषय में समझाया जाए तो ऐसा हो सकता है। सरकार ने पूर्व में ही ई-नाम पोर्टल पर कृषि क्षेत्र में लॉजिस्टिक मूल्य श्रृंखला की सुविधा प्रदान कर दी है।

किसान किस वजह से हुए काफी नाराज

केंद्र सरकार ने 17 अगस्त को प्याज के एक्सपोर्ट पर 40 प्रतिशत ड्यूटी लगा दी थी। इसके विरोध में किसानों एवं व्यापारियों ने लासलगांव और पिंपलगांव जैसी मंडियों में हड़ताल करवाकर उसे बंद करवा डाला था। किसानों की नाराजगी को कम करने के लिए सरकार ने 2 लाख टन अतिरिक्त प्याज खरीदने का निर्णय लिया था। परंतु, आम किसानों को इससे कोई विशेष लाभ नहीं मिला। उधर, सरकार द्वारा पहले से निर्मित किए गए 3 लाख टन के बफर स्टॉक से बाजार में प्याज उतारने का निर्णय किया। उसके बाद 2 लाख टन और खरीद का निर्णय लिया गया। उससे पहले एनसीसीएफ ने तकरीबन 21,000 टन और नेफेड ने तकरीबन 15,000 टन प्याज बेच दिया था। केंद्र ने 11 अगस्त को घोषणा की कि वह उन राज्यों अथवा क्षेत्रों के प्रमुख बाजारों को टारगेट करके बफर स्टॉक से खुले बाजार में प्याज जारी करेगा। जहां खुदरा कीमतें काफी ज्यादा हैं।

नेफेड इन बाजारों में उतारेगा प्याज

आधिकारिक सूत्रों का कहना है, कि नेफेड ने अब तक हरियाणा, पंजाब एवं हिमाचल प्रदेश की विभिन्न मंडियों में 3,000 टन से ज्यादा प्याज भेजा है। साथ ही, उत्तर प्रदेश की मंडियों में बिक्री शुरू करने के लिए उपभोक्ता मंत्रालय से स्वीकृति मांगी है। सूत्रों का कहना है, कि उत्तर प्रदेश में लखनऊ, वाराणसी, प्रयागराज एवं कानपुर जैसे प्रमुख शहरों को शुरुआत में कवर किए जाने की संभावना है। उसके पश्चात प्रतिक्रिया के आधार पर अन्य स्थानों को भी शम्मिलित किया जा सकता है।
खरीददार नहीं दे रहे निर्यात शुल्क, बंदरगाहों पर अटक गया 10 लाख टन चावल

खरीददार नहीं दे रहे निर्यात शुल्क, बंदरगाहों पर अटक गया 10 लाख टन चावल

नई दिल्ली। भारत सरकार ने हाल ही में चावल के निर्यात (rice export) पर 20 फीसदी निर्यात शुल्क लगाने का फैसला लिया था, लेकिन विदेशी खरीददारों ने अतिरिक्त निर्यात शुल्क देने से मना कर दिया है, जिस कारण भारत का 10 लाख टन चावल बंदरगाहों पर अटका हुआ है। घरेलू बाजार में चावल की कीमतों को नियंत्रित करने के उद्देश्य से सरकार ने बीते 9 सितंबर से चावल के निर्यात पर प्रतिबंध के साथ-साथ 20 फीसदी अतिरिक्त शुल्क लागू कर दिया था। उधर निर्यातक संगठन का कहना है कि सरकार ने अचानक व तत्काल प्रभाव से अतिरिक्त शुल्क लागू कर दिया है। लेकिन खरीददार इसके लिए तैयार नहीं हैं। यही कारण है कि चावल का लदान बंद कर दिया गया है, और 10 लाख टन से ज्यादा चावल बंदरगाहों पर फंस गया है। ये भी पढ़ें – असम के चावल की विदेशों में भारी मांग, 84 प्रतिशत बढ़ी डिमांड दुनियां के सबसे बड़े चावल निर्यातक भारत द्वारा चावल पर रोक लगाने के बाद अब भारत के पड़ोसी देशों सहित दुनियाभर में चावल के लिए मारामारी होना तय है, इससे कई देशों की मुश्किलें बढ़ जाएंगी।

हर महीने 20 लाख टन चावल निर्यात करता है भारत

भारत दुनिया भर में चावल का सबसे ज्यादा निर्यातक देश है, भारत हर महीने 20 लाख टन चावल का निर्यात करता है। आंध्र प्रदेश के कनिकड़ा और विशाखापत्तनम बंदरगाह से सबसे ज्यादा लोडिंग होती है। सरकार द्वारा चावल निर्यात पर पाबंदी के बाद पूरी दुनिया में चावल पर महंगाई बढ़ना तय है। ये भी पढ़ें – भारत से टूटे चावल भारी मात्रा में खरीद रहा चीन, ये है वजह

टूटे हुए चावल की शिपमेंट भी रुकी

बंदरगाह पर अटके चावल में टूटे हुए चावल की शिपमेंट भी रुक गई है, इस चावल को चीन, सेनेगल, सयुंक्त अरब अमीरात और तुर्की देशों के लिए लदान किया जाना था। लेकिन निर्यात शुल्क में बढ़ोतरी के चलते चावल बंदरगाहों पर ही रोक दिया गया है। लोकेन्द्र नरवार